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पीरियड के दौरान नहाना चाहिए या नहीं ?

लड़कियों को कई बार अपने मन में यह सवाल परेशान करता है कि, पीरियड के दौरान शावर यानी कि नहाना चाहिए या नहीं | वैसे देखा जाए तो यह सवाल आना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि पीरियड के दौरान महिला की योनि से मासिक धर्म का खून बाहर निकलता है और यह हर महीने आता रहता है |

जब लड़की 10 से 12 साल की हो जाती है, तब उसे अपना पहला पीरियड आता है और तभी से ऐसे कई बार नहाते समय परेशानियां होती है जैसे कि, यदि कोई लड़की बाथटब में नहा रही है तब उसे अक्सर पीरियड का खून बाथटब में लिकेज होने का डर रहता है और इसी वजह से यदि वह खून नहाने के पानी में मिल जाता है, तब उस पानी के अंदर बैठने का उसका मन नहीं होता है | इसीलिए अक्सर लड़कियों को इस बात का ख्याल अपने मन में आता रहता है की,

पीरियड के दौरान नहाना जरूरी है ? या नहीं ?

जैसे कि हमने आपको पहले ही बताया महिला को हर महीने अपना मासिक धर्म आता रहता है और इसी दौरान यदि वह अपने साफ सफाई की तरफ ध्यान ना दें, तो उससे उसे आने वाले समय में परेशानी हो सकती है |

क्या पीरियड्स में नहाना चाहिए ?

इस सवाल का जवाब है हां पीरियड में आप नहा सकती हो |

मासिक धर्म के दौरान यदि आप गर्म पानी से शावर लेती हो तो आपको मासिक धर्म का दर्द या क्रेम्प्स की समस्या कम होती है | शरीर में गर्माहट पैदा होने की वजह से महिलाओं को मासिक धर्म की पीड़ा कम महसूस होती है |

पीरियड में नहाते समय क्या ख्याल रखें ?

मासिक धर्म के दौरान यदि आपको कैसे नहाना चाहिए ? इस बात का पता नहीं है, तो आप यह जानकारी जरुर पढ़े-

टैम्पोन का इस्तेमाल करें :

आपको ऐसा महसूस हो रहा है कि आपको हेवी ब्लड फ्लो यानी कि अधिक मासिक स्राव हो रहा है और आपको यदि बाथटब में नहाना है, तब आप नहाने से पहले टैम्पोन का इस्तेमाल करना चाहिए | टैम्पोन का इस्तेमाल करते समय आपको अपने यौन अंग को अच्छे से गर्म पानी से साफ कर देना चाहिए और एक कपड़े से पूछने के बाद हे टैम्पोन को अंदर लगाना चाहिए |

गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें :

कभी भी मासिक धर्म के दौरान आपको अधिक गर्म पानी का इस्तेमाल नहीं करना है, क्योंकि अक्सर अधिक गर्म पानी की वजह से शरीर में ज्यादा गर्माहट पैदा हो जाती है और इसी के कारण हमें नार्मल पीरियड के बजाय हैवी ब्लड फ्लो हो सकता है | जितना हो सके उतना गुनगुना पानी आप पीरियड के दौरान ले सकती हैं |

बाथटब में नहाना टाले :

पीरियड में अक्सर ब्लड लीकेज का खतरा रहता है और इसी वजह से अक्सर महिलाओं को अस्वस्थ महसूस होता है | जब भी आप नहाने जाए तब हो सके तो आपको बाथटब का इस्तेमाल नहीं करना है | यदि आपको बाथटब में नहाना है तो आप टैंपोन का इस्तेमाल कर सकती हो |

हो सके तो शावर से नहाये :

पीरियड के शुरुआती दिनों में यदि आप नहाते समय गुनगुने पानी से शावर ले रही हो, तो आपको अपना हाइजीन बरकरार रखने में मदद मिलती है |

शावर की वजह से शावर का पानी आपके शरीर के ऊपर से नीचे तक जाता है और इसी वजह से आपका मासिक धर्म का खून पानी में मिलने के बाद भी यह पैरों को छूकर बह जाता है | शावर की वजह से आपको बैक्टीरियल इनफेक्शन और वजाइनल इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है |

नहाने से पहले सैनिटरी नैपकिन उतार ले :

जब भी आप नहाने जा रही हो तब आपको सैनिटरी पैड या नैपकिन नहाते समय अपने यौन अंग पर नहीं रखना है |

नहाने से पहले आपको सैनिटरी नैपकिन निकाल कर फेंक देना चाहिए और नहाने के बाद आपको नया सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करना है | कभी भी एक बार इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड का इस्तेमाल दोबारा नहीं करना चाहिए |

नहाने के पानी में टी ट्री ऑयल का इस्तेमाल करें :

यदि आपको मासिक धर्म में अपने यौन अंग को हाइजीन रखना है, तब आपको सबसे पहले अपने नहाने के पानी में एक दो बूंदे की ट्री ऑयल मिल आना है और इस पानी से नहाने से आपके शरीर पर मौजूद बैक्टेरिया निकल जाते हैं |

टी ट्री ऑयल सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है और यह हाइजीन बरकरार रखने में मदद करता है | अक्सर पीरियड में महिलाओं को इंफेक्शन होने का खतरा अधिक होता है और यदि आपकी ट्री ऑयल की बूंदे पानी में मिलाती हो, तब आपको बैक्टीरियल इनफेक्शन से मुक्ति मिल जाएगी |

पीरियड में गर्म पानी से नहाने के फायदे क्या है ?

अक्सर महिलाएं पीरियड में ठंडे पानी से नहाती है लेकिन आप ठंडे पानी से नहाने के बजाएं पीरियड में गर्म पानी से नहाती है, तो आपको इसके कई सारे फायदे मिल सकते हैं जैसे कि –

  • मासिक धर्म के दौरान गर्म पानी से नहाने की वजह से आपके शरीर में खून का प्रवाह अच्छे से होता है और इससे ह्रदय तंदुरुस्त रहता है |
  • मासिक धर्म के दर्द को कम करने के लिए यह फायदेमंद है | डेलीमेल ने इस बात की पुष्टि की है |
  • पीरियड में माइग्रेन की समस्या हो रही है, तो इससे आपको सिर दर्द से छुटकारा मिल सकता है |
  • अक्सर महावारी के समय पैरों में दर्द होने की समस्या होती है, तो इस से यह समस्या खत्म हो सकती है |
  • गर्म पानी से नहाने के बाद आपके शरीर में नसों में आराम मिलता है और नसों में आराम मिलने की वजह से आपको नींद अच्छे से आती है |
  • मासिक धर्म के समय 10 से 15 मिनट गर्म पानी से शावर लेने के बाद आपको मानसिक तनाव दूर करने में सहायता मिलती है | 10 से 15 मिनट शांत बैठने की वजह से आपका मन आपके काबू में आ सकता है |

क्या पीरियड में नहाने से पीरियड आना बंद हो जाते हैं ?

लोगों ने अक्सर पीरियड के बारे में कई सारी गलतफहमियां अपने मन में रखी है जैसे कि कई बार लड़कियों को ऐसे लग जाता है कि, पीरियड में नहाने से उनका होने वाला पीरियड रूक जाता है | लेकिन देखा जाए तो यह बिल्कुल गलत है, पीरियड में नहाने की वजह से आपको किसी भी प्रकार की पीरियड रुकने की समस्या नहीं होती है |

पीरियड में ठंडे पानी से नहाने से पीरियड का आना कम हो जाता है यह भी गलतफहमी है | पीरियड में अपना हाइजीन बरकरार रखना सबसे महत्वपूर्ण होता है, इसलिए आपको पीरियड में नहाना ही चाहिए |

महीने में दो बार पीरियड आना मतलब क्या होता है ?

दोस्तों यह थी पीरियड में नहाने के बारे में जानकारी, यदि आपको किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप नीचे कमेंट में लिख सकती हो |

पीरियड में पैरों में दर्द क्यों होता है ?

आज हम पीरियड में होने वाले दर्द के बारे में जानकारी देने वाले है |अक्सर कई महिलाओं में ऐसा पाया गया है कि, उन्हें मासिक धर्म के दौरान पैर दर्द होने की समस्या होने लगती है | पीरियड में पैरों में दर्द होने की वजह से काम करने वाली महिलाओं को बहुत पीड़ा सहनी पड़ती है और वह अपना काम ठीक से नहीं कर पाती |

कई महिलाओं में ऐसा भी आया जाता है कि उन्हें पीरियड के दौरान बस कमर दर्द की समस्या होती है, लेकिन पैरों में दर्द होने की समस्या नहीं होती |

ऐसा क्यों होता है ? क्या आपको पता है ?

पीरियड में पैर दर्द क्यों करते हैं ?

देखा जाए तो यदि किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या है, तो उस महिला को अपने मासिक धर्म के शुरुआती दिनों में पैर दर्द की समस्या बहुत दिखाई दी है | एंडोमेट्रियोसिस की वजह से उन्हें पीरियड में अधिक खून निकलना और मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स अधिक होने की समस्या होती रहती है |

एंडोमेट्रियोसिस में महिला के गर्भाशय के ऊपर एक मोटी परत जम जाती है और इसी परत की वजह से उन्हें अक्सर पीरियड्स में अधिक खून निकलने की समस्या होती है | गर्भाशय के ऊपर ही मोटी परत बनने की वजह से महिला को अक्सर चलने में परेशानी होती है और उसे पैर दर्द की समस्या होने लगती है |

2016 की एक रिपोर्ट में ऐसा पाया गया कि एंडोमेट्रियोसिस ग्रसित महिलाओं मैं 50% महिलाएं ऐसी है, जिन्हें मासिक धर्म के दौरान पैरों में जोर से दर्द होने की समस्या होती है |

एंडोमेट्रियोसिस की वजह से पीरियड में ही क्यों दर्द होता है ?

यह जानने के लिए आपको सबसे पहले, पीरियड कैसे आते हैं ? इस बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है |

जब महिला के पीरियड आते हैं तब हर महीने उसकी गर्भाशय की ऊपरी परत खून के साथ मिलकर मासिक स्त्राव के रूप में महिलाओं के यौन अंग से बाहर निकलती है | यदि यह लाइनिंग यानी कि गर्भाशय की ऊपरी परत पतली है तो महिला के पीरियड जल्दी रुक जाते हैं, यदि यह गर्भाशय की परत का मोटापा बढ़ जाता है तो अक्सर महिलाओं को अधिक रक्तस्राव की समस्या होती रहती है |

एंडोमेट्रियोसिस में महिला के गर्भाशय के पास एक ऐसी मोटी परत जमने लगती है जो बिना किसी आकार की, या बिना किसी जगह की परवाह किए बढ़ती रहती है | यदि एंडोमेट्राइटिस मे यह परत महिला के गर्भाशय के नजदीकी जगह में होती है, तब उसे मासिक धर्म में पीड़ा होने लगती है और यह पीड़ा महिला के पेट के निचले हिस्से में ज्यादा महसूस होती है | आमतौर पर यह दर्द महिला के कुल्ले में और घुटनों में दिखाई देता है |

जानिए –

पीरियड में सिर दर्द की समस्या का इलाज कैसे करे ?

ज्यादातर महिलाओं की यह शिकायत होती है की,

पीरियड में पैरों में दर्द होने की समस्या मुझे ही क्यों होती है ?

महिलाओं को आमतौर पर यह सवाल आता है कि उनकी सहेलियों के पीरियड में उन्हें पैरों में दर्द नहीं होता है, लेकिन यह दर्द मुझे ही क्यों होता है ?

देखा जाए तो एंडोमेट्रियोसिस काम करने वाली महिलाओं में ज्यादा पाया गया है क्योंकि उनका अपना नियमित कुछ काम करने का तरीका नहीं होता | काम करने वाली महिलाओं को अपनी सेहत की तरफ ध्यान रखने के लिए समय भी नहीं मिलता है, इसलिए अक्सर १० में से १ महिला को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होती ही है |

पीरियड के दौरान पैरों में दर्द होने की समस्या को कम कैसे करें ?

घरेलू तरीके से यदि आप अपने पैरों में होने वाले दर्द को कम करना चाहती है, तो आपको कुछ चीजों को करना चाहिए जैसे कि –

  1. रोजाना नहाते समय अपने पैरों की गर्म पानी से और तेल से मालिश करनी चाहिए |
  2. हो सके तो आपको स्ट्रैचिंग यानी कि खिंचाव पैदा करने वाला बाबा रामदेव योग करना चाहिए |
  3. यदि आपको पैरों में दर्द अधिक महसूस हो रहा है, तो आप acetaminophen, ibuprofen, or aspirin टेबलेट को डॉक्टर की सलाह से ले सकती हो |
  4. पीरियड में पैरों में दर्द से राहत पाने के लिए आप अपने पैरों के ऊपर या अपने कुल्ले के ऊपर टाइगर बाम का इस्तेमाल कर सकती हो |
  5. जलन कम करने वाले पदार्थ जिससे कि आपको ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलेगा, ऐसे पदार्थों का सेवन आपको अधिक मात्रा में करना चाहिए | आमतौर पर यह फलों में और हरी सब्जियों में आपको मिल जाएगा |
  6. पीरियड के दिनों में पैर के दर्द वाले हिस्से में आपको 15 मिनट के लिए बर्फ का टुकड़ा एक कपड़े में डालकर उसे अपने पैर को अच्छे से मसाज करना है |
  7. खाने में विटामिन सी युक्त विटामिन ई और विटामिन ए वाले पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए |
  8. हो सके तो आपको अदरक हल्दी का सेवन इन दिनों में करना चाहिए |

तो सहेलिओ यह थी पीरियड्स में पैरो में दर्द करने की समस्या क्यों होती है और आप इसका घरेलु इलाज कैसे कर सकती हो, इस विषय की जानकारी |

यदि आपको और जानकारी चाहिए तो आप अपने सवाल निचे कमेन्ट में लिखकर हमें पूछ सकती हो |

जानिए –

पीरियड में स्तनों में दर्द होने पर क्या करे ?

क्या पीरियड में व्रत रखना चाहिए या नहीं ?

आज हम महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय के बारे में बात करने वाले हैं, अक्सर कई महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान फास्ट यानिकी पीरियड में व्रत रखना चाहिए या नहीं ? इस विषय के बारे में संकोच होता है |

भारतवर्ष मैं अलग अलग धर्म है और हर एक धर्म में अलग-अलग प्रकार के देवी देवताओं की पूजन और व्रत रखा जाता है | हर समुदाय के लोग अपना अपना त्यौहार अच्छे से मनाना चाहते हैं, लेकिन महिलाओं के जीवन में हर महीने मासिक धर्म आता रहता है और इसी के कारण उन्हें अक्सर बहुत सारे त्योहारों से दूर रहना पड़ता है |

इसलिए कई बार महिलाओं के मन में यह सवाल रह जाता है कि, क्या पीरियड में फास्ट करना चाहिए ? मासिक धर्म के दौरान व्रत रखना चाहिए या नहीं ? | सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि,

व्रत क्यों रखा जाता है ?

देखा जाए तो उपवास करने के पीछे मेडिकल और अध्यात्मिक कारण भी है | मेडिकल कारण में ऐसा माना गया है कि, व्रत करने से हमारे शरीर में शांति मिलती है, क्योंकि व्रत के समय हम 7 से 8 घंटे कुछ नहीं खाते हैं और साथ में व्रत के दौरान हम चटपटीत खाने से दूर रहते हैं | जैसे कि नवरात्रि के दिनों में महिलाएं 7 से 8 दिनों के लिए फास्ट रखती है और इसी फास्ट के दौरान में चटपटीत खाने से दूर रहना पड़ता है और इसी वजह से उनका शरीर स्वस्थ रहता है |

व्रत रखने का धार्मिक कारण देखा जाए तो, व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं ऐसा कई लोगों का मानना है, इसीलिए वह अपने भगवान के लिए कुछ त्याग देने के लिए व्रत रखते हैं |

क्या औरत ने मासिक धर्म के दौरान नवरात्रि का व्रत रखना चाहिए ?

हिन्दू धर्म में नवरात्रि के समय 8 से 9 दिन तक महिलाएं कुछ नहीं खाती है और इस दौरान वह फलों का सेवन करती है | मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को कमजोरी आना, थकान महसूस होना, चक्कर आने की समस्या होना और भूख लगना ऐसी समस्याएं होती है | यदि पीरियड्स के दिनों में आपने व्रत रख लिया तो, आपको इन सारी समस्याओं से जूझना पड़ता है और इसकी वजह से आपको बीपी कम होने की समस्या होती है |

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं का मूड बदलता रहता है और आमतौर उन्हें चिड़चिड़ापन महसूस होता है |

इसलिए महिलाओं को पीरियड्स के दौरान व्रत नहीं रखना चाहिए ऐसा माना गया है |

पीरियड में एक-दो दिन व्रत रख सकते हैं :

जैसे कि हमने आपको पहले ही बताया मासिक धर्म के दौरान 8 से 9 दिन व्रत नवरात्रि में रखने से लो बीपी की समस्या हो सकती है |

लेकिन आप फिर भी व्रत करना चाहती है तब आप पीरियड्स के दौरान एक या 2 दिन का व्रत रख सकती है, इससे आपको कोई परेशानी या नहीं होगी | व्रत के दौरान आप पीरियड में दूध पी सकती है और फलों का सेवन कर सकती है | लेकिन फिर भी आपको पीरियड में १ या २ दिन से अधिक व्रत रखने का मन हो रहा है तब आपको डॉक्टर की सलाह से ही व्रत रखना चाहिए |

पीरियड में व्रत रखने की वजह से महिलाओं के शरीर में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होती है और यदि महिला के शरीर में प्रोटीन अच्छे से नहीं मिला तब इस प्रोटीन की वजह से महिला की मौत भी हो सकती है और ऐसा कई सारी महिलाओं में पाया भी गया है | इसीलिए जितना हो सके उतना आपको मासिक धर्म के दौरान अपने शरीर को संतुलित रखना जरूरी होता है |

मासिक धर्म के दौरान क्या सावधानियां बरतें

पीरियड में स्तनों में दर्द होने पर क्या करे ? जानिए

बहुत सारी लड़कियों को पीरियड में स्तनों में दर्द होने की समस्या होती रहती है, अक्सर यह समस्या पीरियड आने के पहले और पीरियड आने के बाद होती है | वैसे देखा जाए तो महिलाओं के जीवन में पीरियड बहुत बड़ी समस्या होती है ऐसा उन्हें लगता है | लेकिन देखा जाए तो पीरियड आने की वजह से उनके शरीर में बने हुए अंडे परिपक्व कर बाहर निकलते हैं और यह शरीर में जमा हुआ गंदा खून बाहर निकालते हैं |

मासिक धर्म के दौरान लड़कियों को बहुत पीड़ा का सामना करना पड़ता है और इसमें स्तनों में दर्द होने लगता है, तो उन्हें यह दर्द सहा नहीं जाता है | इसलिए लड़किया अक्सर परेशान रहती है, इसलिए हमारा आज का विशेष मुद्दा है पीरियड में स्तनों में दर्द क्यों होता है और इसका इलाज कैसे किया जाता है ?

मासिक धर्म में स्तनों में दर्द होने का कारण क्या है ?

जैसे कि हमने आपको पहले ही बताया कई सारी लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान अपने चेस्ट में पेन होने लगता है, यानी कि स्तनों में दर्द होने की समस्या होती है, आमतौर पर यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन में कमी आने की वजह से होने लगता है | और यह महिलाओं की मासिक धर्म आने के लिए बहुत जरूरी होता है |

कई सारी लड़कियों को पीरियड आने के शुरुआती दिनों में स्तनों में दर्द होने लगता है तो कई सारी लड़कियां जैसे जैसे बड़ी होती जाती है वैसे वैसे दर्द होता ही रहता है | कई लड़कियों का यह दर्द होना कुछ साल बाद बंद हो जाता है तो कई लड़कियों का यह दर्द जब तुम उसका मेनोपॉज नहीं आ जाता तब तक चालू रहता है |

पीरियड आने से १ या २ दिन पहले आमतौर पर चेस्ट पैन होता है, एनसिबिआय ने इस बात की पुष्टि की है |  देखा जाए तो यह बिल्कुल नॉर्मल है इससे आपको कोई खतरा नहीं है | बस आपको कुछ चीजों का ख्याल रखना चाहिए जिससे कि आपको मासिक धर्म के दौरान चेस्ट पेन से राहत मिल सकती है |

यदि आपको स्तनों का दर्द को काम करना है तो आपको अपने खान-पान की तरफ विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी है, हो सके तो आप नमक, शक्कर, कैफ़ीन और डेरी उत्पादन को कम मात्रा में लेकर से कम कर सकते हो | यदि आप पीरियड आने से पहले अच्छी सपोर्टिव ब्रा खरीदते हो तो आपको इससे राहत मिलेगी |

नियमित तरीके से एक्सरसाइज करने की वजह से भी आप अपने स्तनों में होने वाले दर्द को कम कर सकते हो |

क्या पीरियड आने से पहले स्तनों में दर्द होना यह गर्भावस्था का लक्षण है ?

वैसे देखा जाए तो स्तनों में दर्द होना यह शरीर में हार्मोन मतलब वजह से होता है और अक्सर इसे प्रेगनेंसी का लक्षण भी माना गया है | यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आपके स्तनों में दर्द हो रहा है और आपके पीरियड में सही समय पर नहीं आ रहे हैं तो बाप को प्रेगनेंसी टेस्ट करवा लेना सबसे बढ़िया होता है |

इससे आप गर्भवती हो या नहीं इस बात का पता आपको तुरंत चल जाता है | बस आपको इस बात का ख्याल रखना है कि पीरियड्स आने की तारीख के 10 दिनों के बाद ही आपको सुबह के पहले यूरिन से यह टेस्ट करवा लेनी है | ऐसा करने से ही आपको इससे सही जानकारी मिल सकती है |

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड कब आते है ? जानिए

पीरियड में ब्रेस्ट पेन का इलाज कैसे किया जा सकता है ?

यदि आपको हर महीने स्तनों में दर्द की समस्या हो रही है तब आपको मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को अच्छे से समझना चाहिए | यह दर्द क्यों हो रहा है यह जानकर आप इसका इलाज कर सकते हो |

डॉक्टर की सलाह ले :

यदि आपको मात्रा में स्तनों में दर्द हो रहा है तब आपको डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत ही जरूरी होती है | एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की मात्रा बढ़ाने के लिए डॉक्टर आपको अच्छी विटामिन की टेबलेट सुझाव देंगे जिससे आपका मासिक धर्म के दौरान स्तनों का दर्द की समस्या दूर होगी |

आमतौर पर इस दर्द को गोली से खत्म करने के लिए डॉक्टर आपको इबुप्रोफेन टेबलेट का सेवन करने की सलाह देंगे | लेकिन आपको इस दवाई को डॉक्टर की अनुमति से ही लेना चाहिए | इबुप्रोफेन की वजह से आपके हार्मोन में संतुलन आप पा सकते हो |

सपोर्टेड ब्रा को पहने :

मासिक धर्म के दौरान चेस्ट में होने वाले दर्द को कम करने के लिए आपको सपोर्टिव ब्रा का इस्तेमाल करना चाहिए | सपोर्ट ब्रा का इस्तेमाल करने से मासिक धर्म के दौरान आपके स्तनों की नसों को आराम मिलता है | चेस्ट की नसों में खिंचाव आने की वजह से यह चेस्ट पेन होता रहता है |

पेन रिलीवर का इस्तेमाल करें :

मासिक धर्म में स्तनों के दर से राहत पाने के लिए आप पेन किलर जैसे कि इबुप्रोफेन और एस्पिरिन का सेवन डॉक्टर की अनुमति से कर सकते हो | इन टेबलेट में caffain ना होने की वजह से यह गोलियां जल्दी राहत दिलाती है |

अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए :

शरीर में संतुलन बनाए रखने के लिए आपको शरीर स्वस्थ होना जरूरी होता है, और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आप को हाइड्रेट रहना बहुत जरूरी होता है | हाइड्रेटेड रहने के लिए आपको अपने शरीर में पानी की मात्रा अधिक रखनी पड़ती है | इसलिए जितना हो सके उतना आपको पानी का अधिक सेवन करना है | अपने रोजमर्रा के खानपान में आपको नमक का इस्तेमाल कम ही करना है |

वजन कम करना रहेगा फायदेमंद :

अक्सर वजन बढ़ने की वजह से भी मासिक धर्म के दौरान स्तनों में दर्द होने लगता है इसलिए 2 से 3 पाउंड वजन कम करने की वजह से भी आप अपने स्तनों का दर्द कम कर सकते हैं | अक्सर वजन बढ़ने की वजह से लड़कियों के स्तनों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है |

खानपान की तरफ ध्यान देना है जरूरी :

ज्यादातर महिलाएं अपने खानपान की तरफ अच्छे से ध्यान ना देती है और इसी वजह से उन्हें अच्छा डाइट नहीं मिल पाता | पीरियड के दौरान अच्छा खाना खाने की वजह से मासिक धर्म का दर्द कम होता है यह पता ही है | मासिक धर्म के दौरान अपनी डाइट में हाई फाइबर युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए और कम मात्रा में फैट वाले खाने का सेवन करना चाहिए |

शरीर में विटामिन का संतुलन बनाए रखें :

पीरियड के दौरान स्तनों में दर्द होना यह हारमोंस बदलाव की वजह से होता है और यदि आप अपने शरीर में अपने हार्मोन संतुलन कर पाते हो तो आपको स्तनों में दर्द से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी | हो सके तो आपको प्रिमरोज ऑयल का इस्तेमाल करके विटामिन ई की मात्रा को अपने शरीर में बढ़ाना चाहिए | विटामिन ई और विटामिन बी सिक्स की वजह से आप अपने स्तनों का दर्द कम कर सकते हो और मेनोपॉज के दौरान जो संकेत आपको मिलते हैं उन्हें भी आप जान सकते हो | लेकिन हो सके तो आपको डॉक्टर की अनुमति के अलावा इसका सेवन नहीं करना है |

अपने आप को स्वस्थ रखें :

अक्सर तनाव आने की वजह से भी महिलाओं में स्तनों में दर्द होने लगता है और यदि आप नियमित तरीके से योग और एक्सरसाइज करते हो तो आपको तनाव से भी मुक्ति मिलती है और अपने चेस्ट पेन से भी छुटकारा मिलता है |

दोस्तों यह थी पीरियड्स के दौरान स्तनों में दर्द की जानकारी | ऐसे देखा जाए तो पीरियड के दौरान स्तनों में दर्द होने की वजह से महिलाओं की जिंदगी में बहुत सारी परेशानियां बढ़ जाती है |

इसी पीरियड के पेन के दौरान यदि उन्हें कोई काम करना होता है तो उनका काम करने में मन नहीं लगता है इसके कारण उनकी प्रोडक्टिविटी में कमी आती है | इसलिए जितना हो सके उतना आपको डॉक्टर की सलाह लेनी आवश्यक है |

पीरियड में सिर दर्द की समस्या का इलाज कैसे करे ?

क्या पहली बार पीरियड आने के बाद हाइट बढ़ना बंद हो जाती है ? जानिए

दोस्तों अक्सर अपने पीरियड से संबंधित बहुत सारे सवाल लडकियों के मन में आते रहते हैं | उन सवालों में से आज हम “पीरियड्स के आने के बाद हाइट का बढ़ना बंद होता है या नहीं ?” इस सवाल का जवाब जानेंगे |

अक्सर लड़कियों को अपने जीवन में ऐसा महसूस होता है कि जब उनकी पीरियड साइकिल शुरू हो जाती हैं, उस समय के बाद यानी की यौवन अवस्था के बाद उनकी हाइट में कुछ ज्यादा बदलाव उन्हें दिखाई नहीं देता है |

हर किसी को हट्टा कट्टा और ऊंचा दिखाई देना पसंद होता है, लेकिन अक्सर लड़कियां अपने माता पिता की हाइट को देख कर यह सोचती है कि उनकी हाइट भी अपने माता पिता की तरह होनी चाहिए, लेकिन देखा जाए तो हर किसी का हाइट का संबंध उनके जेनेटिक जींस पर निर्भर होता है | अक्सर ऐसा पाया जाता है कई लड़कियां अपने माता पिता से ज्यादा ऊंची होती है, तो कई लड़कियां उनसे छोटी हाइट की होती है |

अब हम जानते हैं,

क्या पीरियड्स आने के बाद लड़की की हाइट तुरंत बढ़ना बंद हो जाती है ?

सबसे पहले इस सवाल का जवाब है –

नहीं,  यह तुरंत नहीं होता है |

महिला शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की मात्रा अच्छी होने पर पीरियड्स आने के पहले आमतौर पर सालाना 8 सेंटीमीटर यानी कि 3 इंच उनकी हाइट बढ़ती है, केयरिंग फॉर किड्स ने इस बात की पुष्टि की है |

पीरियड्स आने के बाद 2 साल तक लड़की की हाइट बढ़ती रहती है और इसमें कोई कमी नहीं आती है, लेकिन पीरियड्स आने के 2 साल बाद अक्सर लड़की की हाइट बढ़ने की गति बहुत धीमी हो जाती है | आमतौर पर यदि लड़की के पीरियड से 12 साल की उम्र में आ रहे हैं, तो 2 साल तक यानी के 14 साल की उम्र तक उसकी ऊंचाई बढ़ सकती है, लेकिन 14 साल की उम्र के बाद अक्सर लड़कियों की ऊंचाई का विकास होना बंद हो जाता है |

जब लड़की का पहला मासिक धर्म आता है तब यदि वह अपने खानपान की तरफ विशेष प्रकार से ध्यान देती है, जैसे कि अपने डाइट में यदि विटामिन डी और कैल्शियम की मात्रा अच्छी मात्रा में लेती है, तो इस दौरान लड़की की ऊंचाई बढ़ाने में बहुत मदद मिलती है |

जब लड़की के पीरियड आने के 2 साल बाद उसकी हाइट बढ़ना बंद हो जाती है, तब वह अपनी हाइट को लेकर कुछ नहीं कर सकती |

यौन अवस्था के बाद हाइट का बढ़ना कम हो जाता है :

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि जब लड़की के पहली बार पीरियड आते हैं, तब उसके कुछ समय बाद यानी कि लगभग 2 साल बाद उसकी हाइट बढ़ना बंद हो जाता है ।
लड़की का मासिक धर्म आने से पहले उसके ऊंचाई बढ़ने की गति साल में 3 इंच की होती है लेकिन पीरियड आने के बाद 2 साल तक यह ऊंचाई बढ़ने की गति 2 इंच की हो जाती है |

वैसे देखा जाए तो हाइट बढ़ने की गति रुकने का यह सिर्फ एक कारण नहीं है , अन्य कई कारणों की वजह से भी लड़कियों की हाइट बढ़ना रुक जाता है |

स्टडीज में ऐसा भी पाया गया है कि कुछ लड़कियां ऐसी भी है जिनकी 10 साल की उम्र में मासिक धर्म आना शुरू हो गया है, लेकिन फिर भी साल में 4 इंच से ज्यादा उनकी हाइट में बदलाव दिखाई दिया है |

पीरियड्स आने के बाद हाइट कैसे बढ़ती है ?

यदि आपको ऐसा लग रहा है कि पहली बार मासिक धर्म आने के बाद आपकी ऊंचाई में कुछ बदलाव ही दिखाई दिया है, तो आप कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर अपनी हाइट को बढ़ा सकते हैं |

विटामिन डी का सेवन करें :

बच्चों का विकास होने के लिए विटामिन डी बहुत ही लाभदायक होता है और यह हाइट बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण विटामिन माना गया है | नेशनल हेल्थ केयर सेंटर ने विटामिन डी के बारे में इस बात की पुष्टि की है की यदि हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी महसूस होती है, तो उससे हमारे शरीर की हड्डियां कमजोर रहती है और हड्डियों का विकास ठीक से नहीं होता है, इसीलिए विटामिन डी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है |

विटामिन डी मिलने के लिए क्या खाना चाहिए ?

पीरियड आने के बाद हाइट बढ़ाने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है और यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आप की ऊंचाई नहीं बढ़ रही है, तो आपको खाने में –

  • पालक का सेवन करना चाहिए |
  • सोयाबीन का सेवन करना चाहिए |
  • सालमन मछली का सेवन करना चाहिए |
  • चीज का सेवन करना चाहिए |
  • अंडे का सेवन करना चाहिए |
  • टूना मछली का सेवन करना चाहिए |

यदि आप ऊपर दिए हुए पदार्थों का सेवन करते हो तो आपको पीरियड आने के बाद हाइट बढ़ाने के लिए इससे मदद मिलती है |

शरीर में कैल्शियम की मात्रा को संतुलित रखें :

जिस प्रकार हमारे शरीर में हड्डियों का विकास और हड्डियों को मजबूत करने के लिए कैल्शियम जरूरी होता है, उसी प्रकार ऊंचाई बढ़ाने के लिए भी हमें कैल्शियम लाभदायक होता है |

शरीर में कैल्शियम की मात्रा का संतुलन आपको ठीक से रखना चाहिए, उसके लिए आप कैल्शियम युक्त पदार्थों का सेवन कर सकते हो |

हमें कैल्शियम कैसे मिलता है ?

ऊंचाई बढ़ाने के लिए कैल्शियम बहुत ही जरूरी होता है, इसलिए आपको खाने में –

  • चीज का सेवन करना चाहिए |
  • दही का सेवन करें |
  • बादाम का सेवन करें |
  • व्हे प्रोटीन का सेवन कर सकती हो |
  • हरी सब्जियों का सेवन करें |
  • दूध का सेवन करना चाहिए |

पीरियड में सिर दर्द की समस्या का इलाज कैसे करे ?

पीरियड आने के बाद भी ऊंचाई को बढ़ाने के लिए योग करना चाहिए :

लड़कियों की पीरियड आने के बाद हाइट बढ़ाने के लिए योग बहुत ही गुणकारी माना गया है | देखा जाए तो इंसानी शरीर में ऊंचाई बढ़ाने के लिए जेनेटिक और नॉन जेनेटिक कारण होते हैं |बाबा रामदेव जी ने ऊंचाई बढ़ाने के लिए कुछ योगसन बताएं है, यदि आप इन आसनों को नियमित तरीके से करते हो तो आपको ऊंचाई बढ़ाने के लिए जरूर मदद मिलेगी |

ताड़ासन योग आसन करें :

ताड़ासन योग आसन में हमारे शरीर की नसों में खिंचाव पैदा होता है और मसल मजबूत बनाने लगते हैं | ताड़ासन करते समय आपको खड़े होकर अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचना है और अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से लगाना है |

हल्के से आपको अपने दोनों हाथों को एक दूसरे से मिला कर उसे ऊपर की दिशा की ओर खींचना है और अपने दोनों पैरों को अपने तलवों को ऊपर दिशा में लाना है |

ताड़ासन करने के लिए आप ऊपर दिए हुए फोटो का इस्तेमाल भी कर सकते हो |

उष्ट्रासन योग करे :

योग क्रिया में उष्ट्रासन यानी कि कैमल पोज बहुत ही असरदार माना गया है | जिन लोगों को ब्लड प्रेशर जैसी समस्या है और जिनकी कमर में दर्द हो रहा है, वह इस आसन को कर सकते हैं |

ऊंचाई बढ़ाने के लिए कैमल पोज भी गुणकारी है | उष्ट्रासन को करते समय सबसे पहले आपको वज्रासन करना है और आपके घुटनों के ऊपर तनाव देकर अपने दोनों हाथों को पिछली दिशा की ओर लेना है |

अपने दोनों पैरों के तलवे को अपने हाथों से पिछले दिशा से पकड़ना है जैसे कि ऊपर फोटो में आपको दिखाई दे रहा है | आप को हल्के से अपनी सांस को अंदर बाहर करना है और फिर साधारण स्थिति में आ जाना है | उष्ट्रासन करने से आपको जल्द ही अपनी हाइट में बदलाव दिखाई देने लगेगा |

तो दोस्तों यह थी पीरियड्स के दौरान ऊंचाई बढ़ती है या नहीं इस विषय की जानकारी, यदि आपको किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं |

महीने में दो बार पीरियड आना मतलब क्या होता है ?

पिरियड्स आने के पहले सिर दर्द क्यों होता है ?

ज्यादातर महिलाओं को मासिक धर्म आने से पहले सिर में दर्द या पीरियड खत्म होने के बाद सिर दर्द की समस्या होती है | क्या आपको पता है पीरियड के दौरान सिर दर्द की समस्या क्यों होती है ? ज्यादातर महिलाओं को शरीर में हारमोंस के बदलाव की वजह से सिर में दर्द होने की समस्या होती है | कई बार तो यह माइग्रेन की तरह दर्द करने लगता है | देखा जाए तो माइग्रेन महिलाओं के मासिक धर्म पर भी निर्भर करता है | इसे आम तौर पर मासिक धर्म का माइग्रेन कहा जाता है |

देखा जाए तो सिर दर्द के कई सारे प्रकार है, जो आपके पीरियड्स के ऊपर निर्भर करते हैं | महिलाओं को पीरियड आने के पहले सिर दर्द की समस्या होती है तो कोई महिलाओं को पीरियड शुरू होने के बाद सिर में दर्द होता है |

20% सिर्फ 60% महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सिर दर्द की समस्या होती है और अक्सर यह उनके मासिक धर्म के चक्कर पर भी निर्भर है, ऐसा एक रिपोर्ट में पाया गया है |

मासिक धर्म के पहले सिर दर्द क्यों होता है ? Headache before Period

Rochester यूनिवर्सिटी के एमडी प्रोफेसर डॉ. James Woods ne इस बात की पुष्टि की है की मासिक धर्म यानी कि पहले वाला सिर दर्द का कनेक्शन महिलाओं के शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन पर निर्भर करता है | कई बार तो यह जेनेटिक और डायट की तरफ ध्यान न देने की वजह से भी होता है | जब महिला के पीरियड शुरू होने वाले होते हैं उस दौरान अचानक से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के असंतुलन होने की वजह से यह होता है |

वैसे देखा जाए तो हार्मोन में बदलाव होने वाली दवाइयां, गर्भनिरोधक गोलियां या प्रेगनेंसी की वजह से भी अक्सर सिर दर्द होने लगता है | देखा जाए तो पीरियड आने से पहले सिर दर्द का इलाज करने के लिए कोई सारी दवाइयां मार्केट में उपलब्ध है |

महिला के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन मौजूद होने के कारण यह आपकी दिमाग की केमिकल को नियंत्रित करता है | एस्ट्रोजन महिलाओं के शरीर में सिर दर्द की समस्या के नजदीकी केमिकल को नियंत्रित करता है | जब आपको ऐसा महसूस होता है कि आपका सिर में दर्द बहुत तेज हो रहा है तो यह एस्ट्रोजन लेवल के गिरने की वजह से होता है |

  • पीरियड आने के शुरुआती दिनों में महिला का एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के लेवल में कमी आती है |
  • प्रेगनेंसी की वजह से भी यह होने लगता है |
  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की वजह से यह हो सकता है |
  • मेनोपॉज आने के समय में यहां अक्सर महिलाओं में देखा जाता है |

पीरियड के दौरान सिर में दर्द होना : (Headache in Periods)

अक्सर जब महिला के पीरियड आते हैं तब उसके शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा ब्लीडिंग होने से पहले कम होने लगती है | और गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने से भी यह मात्रा कम होती है |

कई बार महिलाएं पीरियड के दौरान placebo टेबलेट या किसी गोली का सेवन करती है, तो उसे अक्सर पीरियड के दौरान माइग्रेन की समस्या होती है |

जानिए –

महीने में दो बार पीरियड आना मतलब क्या होता है ?

मासिक धर्म के दौरान सिर में दर्द क्यों होता है ?

  • पीरियड के दौरान शरीर में विटामिंस की कमी के कारण |
  • बहुत कम दिन होने के कारण या अधिक ज्यादा नींद होने की वजह से |
  • अचानक से तेज रोशनी देखना या आवाज सुनने की वजह से होता है |
  • नशीली चीजों का सेवन करने से जैसे कि रेड वाइन का सेवन करने की वजह से यह हो सकता है |
  •  Caffeine की मात्रा बढ़ने या कम होने की वजह से |

जानिए – प्रेगनेंसी के बाद पीरियड कब आते है ?

पीरियड के पहले और पीरियड के बाद होने वाले सिर दर्द को कैसे रोके ? (Cure Headache during Period and after Period)

यदि आपको मासिक धर्म के शुरुआती दिनों में या मासिक धर्म शुरू होने के बाद माइग्रेन की समस्या हो रही है, तो आपको कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए जैसे कि :

  1. आप डॉक्टर की सलाह लेकर सिर दर्द को कम करने वाली गोली को ले सकती है |
  2. पीरियड के दौरान बिना डॉक्टर के सलाह के कोई भी गोली का सेवन नहीं करना है |
  3. विटामिन और सप्लीमेंट की सहारे से आप अपने शरीर में कमी महसूस वाले विटामिन का सेवन कर सकती हो जैसे कि राइबोफ्लेविन मैग्निशियम और Coenzyme Q10.
  4. नियमित तरीके से योग साधना या एक्सरसाइज करनी चाहिए |
  5. जितना हो सके उतना हाइड्रेटेड रहने का प्रयास करें |
  6. तनाव से दूर रहने का प्रयास करें |
  7. नशीली चीजों का सेवन करने से दूर रहे |
  8.  रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है |
  9. ज्यादातर गर्भनिरोधक गोली का सेवन ना करें |
  10. बाहर का फास्ट फूड खाना बंद करना चाहिए |

यदि आप ऊपर दिए कुछ आसान उपाय का इस्तेमाल करके पीरियड का माइग्रेन कम करना चाहती हो, तो इससे आपको जरूर राहत मिलेगी | यदि आपको किसी प्रकार की समस्या आ रही है, तो आप निचे कमेंट में लिखकर हमें पूछ सकती है |

जानिए –

पीरियड्स का कम आना क्या होता है ? इसके कारण और लक्षण जानिए

महीने में दो बार पीरियड आना मतलब क्या होता है ?

महीने में दो बार पीरियड आना बहुत चिंताजनक विषय है | महिलाओं की माहवारी यानी कि पीरियड आमतौर पर महीने में एक ही बार आते हैं |  इसी दौरान महिला को पीरियड की पीड़ा से गुजरना पड़ता है | आम तौर पर हर महिला का मासिक धर्म का चक्र 28 से 35 दिनों का होता है |

वैसे देखा जाए तो कम से कम 24 दिन और ज्यादा से ज्यादा 38 दिन का पीरियड  चक्र होना चल सकता है |  यदि किसी महिला का पीरियड का चक्र कम समय का है, तो उसे महीने में दो बार पीरियड आ सकते हैं | साल में एक दो बार होना यह चल सकता है, लेकिन यदि किसी महिला को बार बार महीने में दो बार पीरियड आ रहे हैं तो यह बहुत चिंता का विषय है |

आइए जानते हैं,

महिला का पीरियड दो बार आने का कारण क्या हो सकता है ?

कभी कबार हो सकता है :

वैसे देखा जाए तो साल में एक दो बार महीने में दो बार पीरियड आ रहे हैं तो बिल्कुल चिंता का विषय नहीं है, अक्सर यह  पीरियड्स में ब्लीडिंग कम होने की वजह से होता है | यदि आपको ऐसा महसूस हो रहा है कि आपको बार बार महीने में 1 से ज्यादा पीरियड हो रहे हैं, तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी होती है |

कम उम्र की वजह से :

देखा जाए तो जब लड़की के पीरियड आने शुरू हो जाते हैं, तब उसे शुरुआती दिनों में अनियमित मासिक धर्म का सामना करना पड़ता है |  अनियमित मासिक धर्म के कारण उसका पीरियड जल्दी भी आ सकता है और 2 दिन 3 महीने नहीं आता है |

पीरियड आने के शुरूआती 2 साल तक यह होना कोई बड़ी बात नहीं है |  लेकिन 2 साल के ऊपर होने के बाद भी आपके पीरियड महीने में दो बार आ रहे हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है |

ऑक्सफर्ड के एक रिसर्च में ऐसा पाया गया है कि, जब लड़की का पीरियड आना शुरू हो जाता है तब यह 6 साल तक नियमित होने के लिए ले सकता है |  लेकिन फिर भी आपको 2 साल होने के बाद डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए |

एंडोमेट्रियोसिस की वजह से :

जब लड़की के शरीर में गर्भाशय के ऊपरी परत आना शुरू हो जाता है तब वह पीरियड के रूप में बाहर निकलता है |  यदि गर्भाशय के अलावा अगर यह कोशिकाये शरीर में किसी अन्य जगह पर बढ़ रही है, तो इसे एंडोमेट्राइटिस कहा जाता है |

एंडोमेट्रियोसिस की वजह से मासिक धर्म के दौरान बहुत पीड़ा सहनी पड़ती है, इसी वजह से अनियमित मासिक धर्म की समस्या भी होती है |  कई लड़कियों में ऐसा पाया गया है कि एंडोमेट्रियोसिस की वजह से उन्हें महीने में दो बार पीरियड आ रहे हैं | इस समय पर आपको डॉक्टर से अल्ट्रासाउंड की अपने  एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करवाना चाहिए |

वैसे देखा जाए तो लेप्रोस्कोपी  की सर्जरी करने के बाद भी आप इसका इलाज कर सकते हो |

मेनोपॉज नजदीक है तो :

जब महिला का मेनोपॉज का समय नजदीक आने लगता है उसके शरीर में हारमोंस बदलाव बहुत ज्यादा पाए जाते हैं |  मेनोपॉज आने के 10 साल पहले से यह समस्या शुरू हो जाती है | इस दौरान महिला का मासिक धर्म खुलकर नहीं आता है और उसे अनियमित मासिक धर्म की समस्या होती है |  अकसर मेनोपॉज नजदीक आने से पहले महिलाओं को महीने में दो बार पीरियड होने की शिकायत होती है |

थायराइड की समस्या के  कारण :

अनियमित मासिक धर्म थायराइड की समस्या के कारण भी होता है | अमेरिका की हेल्थ एंड ह्यूमन ऑर्गेनाइजेशन इस बात की पुष्टि की है कि, 8 महिला में से एक महिला को अपने जीवन में कभी ना कभी थायराइड की समस्या होती ही है |  इसलिए हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि 8 में से 1 महिलाओं को महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या हो सकती  है |

किसी चीज का तनाव लेने की वजह से :

1 महीने में दूसरी बार पीरियड आने का सबसे बड़ा कारण तनाव हो सकता है, क्योंकि आज के समय में महिलाओं के जीवन में तनाव भरा काम बढ़ गया है और इसी की वजह से उनका अनियमित मासिक धर्म  तनाव हार्मोन की वजह से शुरू हो जाता है |

अचानक से वजन में बदलाव होना :

यदि किसी महिला का अचानक से वजन बढ़ रहा है या अचानक से वजन घट  रहा है, तो उस महिला को अनियमित मासिक धर्म की समस्या होती है | मोटापे की समस्या की वजह से महीने में दो बार पीरियड आ सकते हैं |

गर्भनिरोधक गोली का अधिक मात्रा में सेवन :

शादी होने के बाद  ज्यादातर कपल्स को जल्दी बच्चा पैदा नहीं करना होता है,  इसलिए वह गर्भनिरोधक गोली का सेवन औरत को करने के लिए कहते हैं |  गर्भनिरोधक गोली जैसे कि आईपीएल , अनवांटेड 72 या अन्य गोली का सेवन  करने की वजह से अनियमित मासिक धर्म की समस्या होती है |

गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने से महिला के शरीर का अंडा से कमजोर होता है और इसी वजह से गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने से उन्हें ज्यादा रक्तस्राव होने लगता है और कई बार इसी समस्या के कारण महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या होती है |

यौन संक्रमण होने की वजह से :

महिला की योनि में सूजन आना या योनि में रुखापन आने की वजह से भी महिला के योनि में गीलापन रहता है और इससे उन्हें फंगल इनफेक्शन या बैक्टीरिया इन्फेक्शन का सामना करना पड़ता है |  इसी इन्फेक्शन के कारण उन्हें महीने में दो बार पीरियड आने की समस्या होती है | अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आप के यौन अंगों में फंगल इनफेक्शन या किसी अन्य इंफेक्शन से प्रभावित हुआ है तो आप डॉक्टर की सलाह से इसका इलाज कर ले |

महीने में दो बार पीरियड को आने से कैसे रोके ?

यदि आप महीने में सिर्फ एक ही बार मासिक धर्म चाहती हो तो आपको अपने सेहत की तरफ ध्यान रखना बहुत जरुरी होता  है | ऊपर हमने कुछ महीने में दो बार पीरियड आने के कारण बताएं है यदि आप उन कारणों को आसान से सामना कर सकती हो, तो आपको बार बार पीरियड आने की समस्या नहीं होगी |

अब हम जानते हैं,

महीने में दो बार पीरियड आने से बचने के टिप्स :

  • अधिक मात्रा में एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए |
  • जितना हो सके उतना पानी का सेवन करते रहे |
  • अपने नियमित जीवन शैली को अच्छे से समझ कर अपनी सेहत पर ध्यान रखें |
  • जल्दबाजी में किसी काम को करने का प्रयास नहीं करें |
  • अनियमित मासिक धर्म का इलाज करवा ले |
  • पीरियड के दौरान खून कम निकलने की समस्या से राहत पाना बहुत जरूरी है |
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का प्रभाव होगा तो इसका इलाज करवा ले |
  • फंगल इनफेक्शन यौन अंग पर दिखाई दे रहा है तो इसका इलाज करवाना जरूरी है |
  • थायराइड की समस्या के लिए थायराइड का इलाज करने की दवा ले |
  • पीरियड के शुरुआती दिनों में अपनी मां से सलाह ले |

तो दोस्तों यह थी मासिक धर्म महीने में दो बार आने की समस्या से छुटकारा पाने का इलाज  | यदि आपके मन में  किसी भी प्रकार का सवाल है, तो आप नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं |

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड कब आते है ?

मासिक धर्म के दौरान क्या सावधानियां बरतें

पीरियड्स का कम आना क्या होता है ? इसके कारण और लक्षण जानिए

कई सारी महिलाओं को पीरियड्स कम आने की समस्या होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि मासिक धर्म का कम आना मतलब क्या होता है ?

जब महिला के गर्भाशय की परत बढ़ने लगती है,उस समय महिला के पेट में अंडे विकसित होना शुरू हो जाते हैं, जैसे जैसे यह अंडे बड़े होने लगते हैं | इन अंडो का मिलन पुरुष शुक्राणु के साथ ना होने की वजह से महिला गर्भवती नहीं होती और जब यह अंडे परिपक्व हो जाते हैं, तो वह महिला के शरीर से बाहर निकलने के लिए तैयार होते हैं |

अंडे महिला के जनन अंग से बाहर निकलते समय खून के माध्यम से निकलते हैं, इन्हें हम आसान भाषा में पीरियड कहते है | हर महिला के शरीर में यह क्रिया हर महीने होती है |

लड़की के पीरियड वैसे देखा जाए तो कितने दिनों का और पीरियड का प्रवाह कैसे हो रहा है, इस पर निर्भर करता है |

आमतौर पर महिला के पीरियड हर 21 से 35 दिनों के अंतराल पर आते हैं | इस समय पर महिला के यौन अंग से 2 से 7 दिनों तक मासिक खून निकलता है |

लेकिन अलग-अलग परिस्थितियों की वजह से आपके मासिक चक्र में बदलाव आ सकता है | जैसे कि अधिक मेहनत करना, किसी चीज का तनाव होना , वजन में अचानक से बदलाव आना इन्हीं सब कारणों की वजह से मासिक धर्म का चक्र में बदलाव आ सकता है |

वैसे देखा जाए तो पीरियड कम आना कोई बड़ी बात नहीं है, महिलाओं का मासिक धर्म अलग-अलग चक्र में अलग अलग तरीके से आ सकता है | कई महीने ऐसे भी होते हैं जिस समय मासिक धर्म में कम खून निकलता है |

कई बार मासिक धर्म कम आना विभिन्न लक्षणों को दर्शाता है जैसे कि हार्मोन असंतुलन या फिर प्रेगनेंसी का अंदाजा इससे लग जाता है |

 मासिक धर्म कम आने का लक्षण ?

मासिक धर्म के समय दो से तीन चम्मच खून निकलना आम बात है, यह हर किसी का अलग अलग हो सकता है |

मासिक धर्म का कम आना मतलब मासिक धर्म के दौरान दो से तीन चम्मच से भी कम खून का निकलना | महिलाएं मासिक धर्म कम आने का अंदाजा मेंस्ट्रूअल कप की सहायता से ले सकती है |

 पीरियड में खून आने के लक्षण :

  • मासिक धर्म के दौरान पीरियड पैड और टैंपोन का कम इस्तेमाल होने लगता है |
  • मासिक धर्म के पहले 2 दिनों के दौरान ज्यादा खून नहीं निकलना |
  • मासिक धर्म का खून निकलते समय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खून का निकलना , आम तौर पर जैसा निकलता है उस से कम निकलना |
  •  पीरियड कम दिनों के लिए होना |
  • पीरियड के दिनों के दौरान खून निकलने में देरी होना |
  • 21 दिनों के कम अंतराल पर मासिक धर्म का होना |

आपको इस बात को ध्यान में रखना है कि मासिक धर्म कम आने के कई कारण हो सकते हैं, इसलिए आपको डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी होती है |

अब हम जानते हैं ,

मासिक धर्म कम आने का कारण क्या है ?

वैसे देखा जाए तो पीरियड्स के दौरान कम खून निकलना कई कारणों की वजह से होता है जैसे कि :

उम्र की वजह से:

हर महिला का मासिक चक्र उसके शरीर पर निर्भर होता है और सबसे ज्यादा यह उसकी उम्र पर निर्भर होता है | लड़की जब पहली बार पीरियड में आती है उस समय उसके मासिक धर्म मे बहुत सारा बदलाव होता है |

जैसे जैसे महिला बड़ी होती जाती है वैसे वैसे मेनोपॉज होने का समय नजदीक आते जाता है | मेनोपॉज आने से पहले महिला के मासिक धर्म पर बदलाव हो सकता है जैसे कि अनियमित पीरियड या फिर पीरियड का कम आना क्योंकि इस समय महिला के शरीर में हार्मोन का असंतुलन हो जाता है |

ओवुलेशन का समय कम होने की वजह से :

महिला के शरीर से जब अंडे बाहर निकलते हैं तब वह खून के माध्यम से निकलते हैं और उन्हें पीरियड कहां जाता है | यदि महिला के शरीर में अंडे सही से विकसित नहीं हो रहे हैं और उसे ओवुलेशन के समय में बदलाव हो सकता है और इसी के कारण मासिक धर्म कम आने लगता है |

अचानक वजन में बदलाव :

ऐसा पाया गया है कि जिन महिलाओं का वजन बहुत कम या बहुत ज्यादा होता है उम्र में पीरियड का आना कम हो जाता है |

आमतौर पर यह शरीर में फैट का बढ़ने की वजह से या चर्बी का घटने की वजह से होता है | अधिक मात्रा में परिश्रम करने की वजह से वजन में कमी आती है और कम मात्रा में काम करना और ज्यादा खाने की वजह से मोटापे की समस्या के कारण मासिक धर्म में कम ब्लड निकल सकता है |

गर्भावस्था की वजह से :

जब महिला प्रेग्नेंट होती है तब उसके शरीर से बाहर निकलना बंद हो जाते हैं उस समय पर पहले कुछ दिनों के लिए महिला का मासिक धर्म में बदलाव आ सकता है | प्रेगनेंसी होने से पहले महिला के पीरियड्स आना बंद हो जाता है या फिर शुरुआती दिनों में महिला के पीरियड मैं बहुत कम मात्रा में खून निकलता है |

तनाव की वजह से :

ज्यादातर महिलाएं अधिक तनाव लेने की वजह से अपने पीरियड में बदलाव महसूस करती है | महिला के शरीर में हार्मोन का संतुलन ना बनने के कारण उसे पीरियड साइकिल में बदलाव होता रहता है| अधिक तनाव की वजह से महिला केq शरीर से कम खून निकल सकता है |

गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने से :

गर्भनिरोधक गोली महिला के पीरियड में बदलाव करने के लिए बहुत हानिकारक मानी गई है | जब कोई लड़की

गर्भनिरोधक गोली का सेवन करती है उस समय यह गोली उसके शरीर मैं गर्भाशय की परत को बढ़ने से रोकती है और इसी वजह से मासिक धर्म आने में देरी हो सकती है | गर्भनिरोधक गोली का सेवन करने की वजह से महिला के पीरियड्स में कमी खून निकलने की संभावना हो सकती है |

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से :

ज्यादातर महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से अपने मासिक धर्म में अनियमितता पाई गई है | पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से हार्मोन और बदलाव के कारण महिला के शरीर में अंडे परिपक्व होने की प्रक्रिया रुक जाती है और इसी वजह से मासिक धर्म आने में कमी हो सकती है |

डॉक्टर की सलाह कब ले ?

कई बार महिलाएं मासिक धर्म कम आने की समस्या की वजह से परेशान होती है और वह सोचती रहती है कि मासिक धर्म का कम आने का इलाज कैसे किया जाए ? और वह तरह-तरह के घरेलू उपाय की खोज में होती है |

जब भी आपको ऐसा लगे कि आपके पीरियड में कमी हो रही है, तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी होती है क्योंकि पीरियड्स कम आने पर डॉक्टर आपको सही राय दे सकते हैं |

  • अचानक से पीरियड में खून निकलने पर
  • पीरियड साइकिल में बदलाव आने पर
  • मासिक धर्म का खुलकर ना आने के कारण
  • पीरियड आने के पहले 2 दिनों में कम खून निकलने पर

अगर आपके जीवन में ऐसे कोई बदलाव महसूस हो रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी आवश्यक है |

मासिक धर्म का खून का रंग बताता है आपकी सेहत के बारे में

मासिक धर्म के दौरान क्या सावधानियां बरतें

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड कब आते है ? जानिए

जब महिला बच्चे को जन्म देती है तब उसके शरीर में कई सारे बदलाव होते हैं | बच्चे की डिलीवरी होने के समय महिला की त्वचा निखार के साथ साथ कुछ बदलाव भी दिखाई देने लगते हैं | और रही बात पीरियड्स की, प्रेगनेंसी के दौरान 9 महीने तक आपको मासिक धर्म की समस्या से छुटकारा रहता है |

अक्सर महिलाओं को अपने मन में यह सवाल आता है कि डिलीवरी के कितने दिन बाद पीरियड आता है और पीरियड साइकिल में क्या बदलाव हो सकता है ?

बच्चे को जन्म देने से पहले और प्रेगनेंसी के बाद पीरियड साइकिल मैं आपको थोडा बदलाव महसूस होता है | आप बच्चे को दूध पिला रही हो या नहीं इसका भी असर आपके मासिक धर्म के चक पड़ पड़ सकता है |

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड कब आते हैं ?

जब महिला गर्भवती होती है तो बस का मासिक धर्म आना बंद हो जाता है, इसी वजह से महिलाएं डिलीवरी होने के बाद पीरियड कब आते हैं इस सवाल के बारे में चिंतित होती है |

देखा जाए तो प्रेग्नेंट के बाद बच्चे को जन्म देने की 6 से 8 हफ्ते के बाद महिला को मासिक धर्म आना शुरू हो जाता है, यदि वह महिला बच्चे को दूध नहीं पिला रही है तो | अक्सर देखा जाए तो जब महिला अपने बच्चे को दूध पिलाती है तब दूध लाने के समय महिला को मासिक धर्म नहीं आता है | जब महिला बच्चे को दूध पिलाना बंद कर देती है तब कुछ दिनों के अन्दर उसे मासिक धर्म आना शुरू हो जाता है |

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड में टेंपोन का इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं ?

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड आने पर अक्सर डॉक्टर आपको यह सलाह देते हैं कि आपको टाइम बम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए यदि आपका नॉर्मल डिलीवरी हुआ है तो |

मासिक धर्म के दौरान टैंपोन का इस्तेमाल महिला को अपने प्राइवेट पार्ट के अंदर डालकर करना पड़ता है , नॉर्मल डिलीवरी होने के बाद महिला के प्राइवेट पार्ट में दर्द महसूस होने लगता है और इस समय यदि आप टैंपोन का इस्तेमाल करती हो तब से आपको प्रॉब्लम भी हो सकता है |

बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को पीरियड जल्दी क्यों नहीं आते हैं ?

ज्यादातर महिलाओं में ऐसा पाया गया है कि जो वह बच्चे को दूध पिलाती है तब उसे मासिक धर्म नहीं आता है | जब महिला बच्चे को दूध पिलाती है तब उसके शरीर में हार्मोन में बदलाव होता है जैसे कि प्रोलेक्टिन हार्मोन बच्चे को दूध पिलाने के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि इस हार्मोन की वजह से महिला के शरीर में दूध तैयार होता है |

प्रोलेक्टिन आपके शरीर में मौजूद रीप्रोडक्टिव हार्मोन को रोकता है | इसी वजह से महिला के शरीर से अंडे फ़र्टिलाइज़र नहीं होते हैं |

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड आने से स्तनों के दूध में क्या बदलाव आता है ?

किसी महिला का डिलीवरी होने के बाद पीरियड आने लगते हैं उस समय महिला को अक्सर बच्चे को दूध पिलाते समय दर्द होता है, ऐसा प्रोटीन की कमी के वजह से होता है | पीरियड आने के बाद हार्मोन बदला होने की वजह से महिलाओं को दूध कम आने की समस्या शुरू हो जाती है |

पीरियड्स को आने की वजह से बच्चे को मां का दूध पसंद नहीं आता है क्योंकि इस दौरान महिला के दूध टी टेस्ट में बदलाव आने लगता है | लेकिन इससे आपके बच्चे को दूध पिलाने में ज्यादा कुछ परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता |

प्रेगनेंसी के बाद पीरियड में क्या बदलाव आने लगते हैं ?

जब महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसका मासिक धर्म आना बंद हो जाता है और जब वह बच्चे को जन्म देती है तब उस समय से 6 से 8 हफ्ते के अन्दर उसे पीरियड का आना शुरू हो जाते हैं | लेकिन गर्भवती होने के पहले और बच्चा पैदा करने के कुछ दिन बाद महिला के मासिक धर्म के खून में भी बदलाव महसूस होता है |

नॉर्मल डिलीवरी होने पर पीरियड को नियमित होने में थोड़ा बहुत समय तो लगता है | लेकिन पीरियड में क्या बदलाव आ सकते हैं ?

  • बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के पीरियड में उसे अधिक दर्द की समस्या हो सकती है या फिर दर्द कम भी हो सकता है |
  • मासिक धर्म के खून में खून के थक्के आ सकते हैं ।
  • ज्यादा खून निकलने की समस्या हो सकती है ।
  • पीरियड्स का अचानक से आना और रुकना ऐसी समस्या हो सकती है ।
  • अनियमित मासिक धर्म की समस्या हो सकती है |

जब पहली बार डिलीवरी के बाद पीरियड आने लगते हैं, उस समय शुरुआती दिनों में हेवी ब्लड फ्लो की समस्या हो सकती है और बहुत पीड़ा का एहसास हो सकता है ।

बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के गर्भाशय के ऊपर कोशिकाओं का बनना शुरू हो जाता है और यह डिलीवरी होने के 6 से 8 हफ्ते के बाद पहली पीरियड के साथ बाहर निकलने लगते हैं , इसी वजह से हेवी ब्लड फ्लो होता है ।

ऐसे समय पर महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं होती और यदि आपको अधिक पेन हो रहा है, तो आप मासिक धर्म का दर्द कम करने के तरीके आजमाकर इस मेंस्ट्रुअल क्रेम्पस का सामना कर सकती हो ।

यदि किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या है, तो उसे बच्चे को जन्म देने के बाद मासिक धर्म कि खून की मात्रा बहुत कम होती है ।

डिलीवरी होने पर महिला को पीरियड कितने दिन चलते हैं ?

मासिक धर्म प्रेगनेंसी के बाद 6 से 8 हफ़्तों के बाद आना शुरू हो जाते हैं और पहले कुछ मासिक चक्र के पीरियड्स 6 से 8 दिनों तक चल सकते हैं । अक्सर महिलाओं को बच्चे को जन्म देने के 5 से 6 दिनों तक उनके प्राइवेट पार्ट्स से खून निकलता रहता है यदि यह खून 7 दिनों से अधिक दिनों तक बह रहा है, तब आपको डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत ही जरूरी होती है ।

डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए ?

कई सारी महिलाएं प्रेगनेंसी के बाद पीरियड जब शुरू होता है तब उन्हे पीड़ा होने लगती है और वह इसे नॉर्मल समझ कर नजरअंदाज कर देती है, अक्सर एबॉर्शन के बाद पीरियड आने में भी देरी हो सकती हे और इसी वजह से उन्हें खतरा भी उठाना पड़ सकता है ।

यदि आपको नीचे में से कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, तब आपको डॉक्टर की सलाह लेनी आवश्यक है –

  • मासिक धर्म शुरू होने के 7 दिनों से ज्यादा दिनों तक ब्लीडिंग हो रही है ।
  • पीरियड शुरू होने के बाद बहुत सर दर्द हो रहा है तो ।
  • बुखार आने की वजह से ।
  • पेशाब करते समय प्राइवेट पार्ट में दर्द हो रहा है तब ।
  • यौन अंग से सफेद पानी निकल रहा है तब ।
  • सांस लेने में समस्या आ रही है तब ।
  • आपको हर घंटे सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना पड रहा है तब

ऊपर लिखे हुए किसी भी लक्षण आपको नजर आ रहे हैं तब आपको डॉक्टर की सलाह लेनी बहुत जरूरी होती है । यदि आपको किसी प्रकार की सहायता की जरूरत है, तो आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं, हम आपकी मदद करने का पूरा प्रयास करेंगे ।

मासिक धर्म के दौरान क्या सावधानियां बरतें

पीरियड में दूध पीना चाहिए या नहीं ?

महिलाओं के पीरियड के दौरान महिलाओं को क्या सेवन करें और क्या ना करें इस विषय की बहुत चिंता होती है | और यह चिंता होनी भी चाहिए क्योंकि यदि हम पीरियड्स आने के बाद हमें जो पसंद होता है वह खा लेते हैं तो इसकी वजह से हमें कभी कबार परेशानियां भी हो सकती है |

मासिक धर्म आने के बाद महिलाओं के शरीर से उनके गर्भाशय की ऊपरी परत महिला के अंडे विकसित होने के समय महिला की यौन मार्ग से बाहर निकलते हैं, जिसे हम मासिक धर्म की ब्लीडिंग कहते हैं |

कई सारी महिलाएं पीरियड के दौरान दूध का सेवन करना चाहिए या नहीं इस सवाल से परेशान है, इसलिए हम जानते हैं कि पीरियड में मिल्क पीना चाहीए की नहीं ?

पीरियड में दूध पीना चाहिए या नहीं ?

मासिक धर्म के समय अच्छा आहार महिलाओं के लिए बहुत गुणकारी माना गया है | यदि हमारे शरीर में प्रोटीन कैल्शियम महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद है तो हमें मासिक धर्म के समय दर्द होना , कमजोरी महसूस होना , थकान का आना ऐसी चीजों से राहत मिलती है |

पीरियड के दौरान लेक्टोज की कमी की वजह से भी मासिक धर्म में दर्द होने लगता है | जब हम दूध का सेवन करते हैं तब हमें दूध में लैक्टोज भरपूर मात्रा में मिलता है, यह आपकी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है |

यदि आपको दूध का सेवन करने की वजह से पचन संस्था में परेशानी हो रही है , और आपको पेट में गड़बड़ी महसूस हो रही है तब आपको दूध का सेवन नहीं करना चाहिए |

भारतवर्ष में कई सारी महिलाएं पीरियड के दौरान दूध पीती है इसलिए आपको सादा दूध पीने से कोई नुकसान नहीं है |

हफिंगटन पोस्ट में इस बात की पुष्टि की है कि यदि आप अधिक मात्रा में दूध का सेवन करती हो तो इससे आपके शरीर में Arachidonic acid की मात्रा बढ़ती है और किसी ऐसी की वजह से आपके मासिक धर्म के दौरान दर्द पैदा करने की क्षमता अधिक होती है, इसलिए जितना हो सके उतना कम मात्रा में ही दूध का सेवन करें |

पीरियड के दौरान हल्दी का मिल्क पीना :

वैसे देखा जाए तो मासिक धर्म के दौरान आप दूध का सेवन कर सकती हो, लेकिन यदि आप दूध में हल्दी पाउडर मिला रही हो तो यह आपके लिए परेशानी बन सकता है |

हल्दी का दूध सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है लेकिन यह यदि पीरियड के दौरान या प्रेगनेंसी के दौरान हम पीते हैं तो इससे हमें शरीर में गर्माहट पैदा हो सकती है और इससे बच्चा गिरने का खतरा हो सकता है |

पीरियड के दौरान शरीर में गर्माहट पैदा होने की वजह से मासिक धर्म का खून पतला होता है और इसी वजह से हैवी ब्लड फ्लो की समस्या भी इससे आ सकती है | इसीलिए आपको मासिक धर्म के दौरान हल्दी का दूध नहीं पीना है |

पीरियड के दौरान बादाम का दूध :

मासिक धर्म के दौरान बादाम का सेवन करने से मासिक धर्म में दर्द की समस्या कम होती है इसलिए आप दूध के साथ बादाम मिलाकर पी रही हो तो इससे आपके मासिक धर्म का दर्द कम होने लगता है |

पेट के दौरान बादाम का सेवन करने से आपको मासिक धर्म के दौरान कैल्शियम और आयरन की मात्रा अच्छे से होती है, बादाम में मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में मौजूद होने की वजह से आपको मासिक धर्म के दौरान चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना ऐसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है |

पीरियड के दौरान आपको जो सेवन करना है वह आप कर सकती है लेकिन बस आपको यह ख्याल रखना है कि किसी भी चीज को अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना है, क्योंकि इससे आपके मासिक धर्म में दर्द बढ़ने की समस्या या मासिक धर्म अनियमित आने की समस्या हो सकती है |

यदि आपको किसी भी प्रकार का सवाल परेशान कर रहा है तो आप बेझिझक हमें नीचे कमेंट में लिख सकते हैं, हम आपकी मदद करने का पूरा से पूरा प्रयास करेंगे |