१५ अगस्त १९४७ की ऐतिहासिक तिथि को भारत अंग्रेजों के आधिपत्य से मुक्त हुआ था। भारत को यह स्वतंत्रता कई आंदोलनों और संघर्षों की परिणति थी जो १८५७ के ऐतिहासिक विद्रोह सहित ब्रिटिश शासन के दौरान व्याप्त थे। यह स्वतंत्रता कई क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के माध्यम से प्राप्त हुई, जिन्होंने उस संघर्ष को संगठित करने का बीड़ा उठाया, जिसके कारण भारत का नेतृत्व हुआ। आजादी। यद्यपि वे नरमपंथियों से लेकर चरमपंथियों तक की विभिन्न विचारधाराओं के थे, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान हर भारतीय के मन में अमर है। यह ब्लॉग आपके लिए उन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर आया है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
भारत ने कई दशकों के संघर्ष के बाद १९४७ में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी हासिल की। मोहनदास गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, १९१४ में लड़ाई में शामिल हुए और सत्याग्रह के रूप में जानी जाने वाली अहिंसक विरोध की अपनी पद्धति का उपयोग करके देश को स्वतंत्रता की ओर ले गए।
भारत को स्वतंत्रता कब और किससे मिली?
भारतीय स्वतंत्रता दिवस एक बेहद महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवकाश है, जो उस महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है जब राष्ट्र यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र हुआ था। यह आधिकारिक तौर पर १५ अगस्त १९४७ को घोषित किया गया था।
अंग्रेजों को भारत में प्रवेश की अनुमति किसने दी?
वे २४ अगस्त, १६०८ को सूरत के बंदरगाह पर भारतीय उपमहाद्वीप में उतरे। मुगल बादशाह जहांगीर ने कैप्टन विलियम हॉकिन्स को १६१३ में सूरत में एक कारखाना लगाने की अनुमति देने के लिए एक फरमान दिया।
ब्रिटेन ने भारत को कैसे छोड़ा?
देश धार्मिक आधार पर गहराई से विभाजित था। १९४६-४७ में, जैसे-जैसे स्वतंत्रता नजदीक आती गई, तनाव मुसलमानों और हिंदुओं के बीच भयानक हिंसा में बदल गया। १९४७ में ब्रिटिश इस क्षेत्र से हट गए और इसे दो स्वतंत्र देशों – भारत (ज्यादातर हिंदू) और पाकिस्तान (ज्यादातर मुस्लिम) में विभाजित कर दिया गया।
क्या भारत को ब्रिटेन से शांतिपूर्वक स्वतंत्रता मिली?
भारत को ब्रिटेन से शांतिपूर्वक स्वतंत्रता नहीं मिली। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन जैसी घटनाओं की एक श्रृंखला थी जिसमें भारतीयों के विरोध और संघर्ष शामिल थे।
भारत के स्वतंत्रता अभियान में योगदान देने वाले हजारों स्वतंत्र सेनानी थे। आज हम आपको उन्ही सेनानियों के कुछ नेताओं के बारे में बताने वाले है।
स्वतंत्रता अभियान के नेता और उनके कार्य।
महात्मा गांधी
गांधीजी को राष्ट्रपिता के उपदि से सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकार के कार्यकर्ता थे।
गांधीजी ने सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदलनों से कई सरे भारतीय स्वतंत्र सेनानियों को एकत्रित किया था।
लाल बहादुर शास्त्री
शास्त्रीजी, नेहरूजी की बाद भारत के दूसरे प्रधान मंत्री थे। शास्त्रीजी ने श्वेत क्रांति, हरित क्रांति जैसे आंदलनों से कई सरे भारतीय स्वतंत्र सेनानियों को एकत्रित किया था।
सुभाष चंद्र बोस
बोस का जन्म २३ जनवरी १८९७ को हुआ था। सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के चरमपंथी वर्ग के थे।
सुभाष चंद्र बोस १९२० के दशक के शुरुआती वर्षों से १९३० के अंत तक कांग्रेस के एक कट्टरपंथी युवा विंग के नेता थे। सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल
वल्लभभाई पटेल का जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता।
वह गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ किसान आंदोलनों का आयोजन किया।
उनके प्रयासों से लगभग ५६२ रियासतों का एकीकरण हुआ। जिस वजह से भारत एक अखंड देश बन पाया। आजादी के बाद, उन्होंने भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया।
बाल गंगाधर तिलक
बाल गंगाधर तिलक २३ जुलाई १९५६ को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में पैदा हुए एक उल्लेखनीय स्वतंत्रता सेनानी थे। अपने उद्धरण के लिए प्रसिद्ध, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।” यह प्रसिद्ध नारा उन्होनेही दिया था।