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भाई दूज क्यों मनाते हैं ? और भाई दूज की कहानी क्या है ?

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भाई दूज क्यों मनाते हैं ? और भाई दूज की कहानी क्या है ?
भाई दूज क्यों मनाते हैं ? और भाई दूज की कहानी क्या है ?

नमस्ते दोस्तों,  इस लेख के माध्यम से हम उनको बताएँगे कि भाई दूज क्यों मनाते हैं? और भाई दूज की कहानी क्या है?  इसके संबंधित जानकारी देंगे। दीवाली का आखरी दिन यानी कि भाई दूज के तौर पर मनाया जाता है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है।

बहनों के लिए इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। उनकी लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए पूजा करती है। दीपावली का समय येसा त्यौहार है जब हर किसी के चेहरे पर खुशी झलकती है। लोग इस त्यौहार में बहुत खुश रहते हैं। और  दीपावली का हर एक दिन कि अपनी एक मान्यता है। और प्राचीन कहानियां है। उसी प्रकार यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। जिसमें बहने अपने भाइयों की पूजा करती है। और उनको टीका लगाती है। और उसी के साथ साथ मनी ही मनी हो प्रार्थना करती है। कि उनकी भाई की लंबी उम्र हो। और उन्हें सुख समृद्धि और शांति प्राप्त हो। उसी के साथ साथ बहने और भाई एक दूसरे के लिए उपहार लेते हैं। और इस  एक दूसरे को देते हैं। यह रक्षाबंधन की तरह ही एक बड़ा त्यौहार है। जो साल में एक बार आता हैं। हिंदू धर्म इस त्योहार को बहुत ही महत्व दिया गया है।

भारत वंश में हर राज्य में यह त्यौहार मनाया जाता है। और इसे अलग अलग नाम से भी जाना जाता है। परंतु इसके पीछे का मकसद एक ही होता है। कि अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए कामना करना। और उनके स्वास्थ्य के संबंधित भगवान से प्रार्थना करना। यह कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन यानी की अक्टूबर और नवंबर के बीच में आता है। और दीवाली का आखिरी दिन होता है।

भाई दूज भारत में एवं विदेशों में भी मनाया जाता है। भाई दूज भाई बहन का अटूट प्यार और स्नेह का प्रतीक है। जैसे रक्षाबंधन में बहने भाइयों को राखी बांध के उनकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है। उसी प्रकार भाई दूज पर बहने भाई की पूजा और टीका करके उनके लंबी आयु के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। हिंदू धर्म के अनुसार भाई दूज की कई सारी मान्यताएं है। और प्राचीन कहानियां है। इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि क्यों भाई दूज मनाया जाता है? और इसके पीछे की प्राचीन कहानी क्या है?

भाई दूज की कथा और उसके पीछे की मान्यता :

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं। इसके पीछे भी एक प्राचीन कथा है। भाइयों को अपने यथाशक्ति अनुसार बहनों को कोई भी चीज भेट के स्वरूप में देनी चाहिए। यह शुभ माना जाता है. तो चलिए जानते हैं कि इस के पीछे की धार्मिक कथा क्या है? एवं उसका महत्व क्या है? सूर्य भगवान के स्त्री का नाम संध्या देवी था उनको दो संतान थी। पुत्र यमराज और कन्या यमुना। यमराज ने अपनी एक नगरी बनाई थी यमपुरी जिसमें वह अपराधियों को दंड देते थे। यमराज जी को पापियों को दंड देते हुए यमुना जी देख नहीं पाई। और वह नाराज होकर भूलोक चली गई। बहुत समय होने के पश्चात यमराज को अपनी बहन यमुना की याद आई। तभी उन्होंने अपने दुतों को भूलोक मैं भेजा और यमुना को ढूंढने बोला परंतु यमुनाजी दूतो को मिल ना सकी। उसके पश्चात यमराज खुद भूलोक पर गए। और उन्होंने यमुना जी को ढूंढ निकाला।

अपने भाई को देख कर उनको बहुत आनंद हुआ और उन्होंने उनका स्वागत सत्कार किया। उनके लिए स्वादिष्ट भोजन बनाया उनका स्वागत सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना जी से कहा कि मनचाहा वर मांगो। तभी यमुना जी ने उनको कहा कि भैया जो इंसान मथुरा नगरी में स्थित यमुना में स्थान करेगा वह आप की नगरी में नहीं आएगा। यह सुनकर यमराज चिंता में पड़ गए। क्योंकि इससेउनकी यमनगरी का अस्तित्व ही खत्म हो जाता। भाई को चिंतित देखकर यमुना जी ने कहा भैया आप चिंता ना करें। जो भी भाई अपने बहन के घर पर खाना खाकर यमुना में स्थान करेगा। वह आपके यमनगरी में नहीं आएगा।

उसे स्वर्ग में स्थान मिलेगा। यह आशीर्वाद दें। तभी हम र यमराज जी बोले कि ठीक है, अगर कोई भी भाई अपने बहन के घर बिना खाना खाए अगर जाएं तो मैं उसको अपने नगरी ले जाऊंगा। और और तुम्हारे जल मे स्थान करने वाले को स्वर्ग प्राप्त होगा। इसीलिए मैंने बहने भाइयों स्वागत सत्कार करती है। और उनको स्वादिष्ट भोजन बना कर खिलाती है। भाई दूज की यह धार्मिक मान्यता है।

भाई दूज की पूजा कैसे करें ?

यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय को मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए उसी के साथ-साथ अपने पति के दीर्घायु के लिए यमराज से प्रार्थना करती है।

भाई दूज के दिन भाई अपनी बहन के घर जाते हैं। उस दिन बहन सुबह जल्दी उठकर नए वस्त्र पहनती है। और भाई की शुभ मुहूर्त में पूजा करके तिलक लगाती है। तिलक लगाने के पश्चात भाई को कुछ मिठाई खिलाती है। उसके पश्चात भाई की स्वागत और सत्कार करके उसे स्वागत स्वादिष्ट भोजन खिलाती है। और भगवान से प्रार्थना करती है कि उसके भाई की लंबी उम्र और स्वास्थ्य समृद्धि प्राप्त करें। इस प्रकार भाई दूज त्यौहार को मनाया जाता है यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। और इसका हिंदू धर्म में बहुत ही ऊंचा स्थान है।

यदि आपकी बहन शादीशुदा नहीं है तो उसके हाथ से बना हुआ खाना खाए और यह त्यौहार मनाए।

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