दोस्तों नमस्कार, वैसे तो आप सभी जानते हैं भारत का नाम विश्व धरोहर जगहों के लिए दुनिया भर में प्रख्यात है। उनमें से एक है क़ुतुब मीनार। लेकिन आज भी भारत की जनता में कुतुबमीनार को लेकर कई सारे सवाल है। तो चलिए आज उन्हीं सवालों में से कुछ सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।
कुतुब मीनार की स्थापना कब हुई?
कुतुबमीनार भारत के दिल्ली राज्य में स्थित है। यह तो लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हो कुतुब मीनार की स्थापना कब हुई थी? कुतुब मीनार सन ११९२ ईसवी में बननी शुरू हुई थी।
दिल्ली आने वाला हर टूरिस्ट कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा स्थापित दिल्ली सल्तनत की इस बुलंद इमारत को निहारने के लिए जाता है। गांधी जी भी १३ अप्रैल, १९१५ को इसे देखने पहुंचे थे। उनके साथ कस्तूरबा गांधी, स्वाधीनता सेनानी और देश के मशहूर हकीम अजमल खान भी थे।
भारत की सबसे ऊँची मीनार कौन सी है?
इस सवाल का जवाब भी कुतुब मीनार ही है। भारत की सबसे ऊंची मीनार दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार है। जिसका ऊंचाई ७२.५ मीटर है अर्थात २३७ फुट। क़ुतुब मीनार: भारत की सबसे ऊंची ईंटों की मीनार है।
कुतुब मीनार अतुल्य भारत की राजधानी दिल्ली में मौजूद तीन विश्व धरोहरों में से एक है। गज़नी ने अपनी जीत पर जाे मीनारें बनवाई थीं उनकाे देखकर ११९२ ईसवी में कुतुब-उद-दीन-ऐबक ने कुतुबमीनार का काम शुरू करवाया था।
कुतुबमीनार का नाम कुतुबमीनार क्यों रखा गया?
कहा जाता है कि कुतुब मीनार का नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया है, लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इसका नाम प्रसिद्ध मुस्लिम संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था। समय-समय पर इसकी मरम्मत भी हुई हैं। जिन बादशाहों ने इसकी मरम्मत कराई उनका उल्लेख इसकी दीवारों पर मिलता है।
कुतुब मीनार किसकी याद में बनाया गया था? गुलाम वंश के शासकों की याद में। कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्माण सुरु किया गया एवम् इल्तुतमिश द्वारा अंतिम निर्माण किया गया। कुतुबमीनार कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की याद में बनवाया गया था।
कुतुब मीनार बनाने में कितना समय लगा?
कुतुबमीनार की स्थापना भारत के सबसे पहले मुस्लिम शासक सुल्तान कुतुब उद्दीन ऐबक ने ११९३ ई में करवाई थी। कुतुबुद्दीन ऐबक की देखरेख में पहली और दूसरी मंजिल का निर्माण हुआ था। उसके बाद १२११ से लेकर १२३६ के बीच में कुतुब मीनार की तीसरी और चौथी मंजिल का निर्माण सुल्तान शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने करवाया था।
कुतुब मीनार के अंदर क्यों नहीं जाने देते?
लगभग ५० लोग मर गये जिसमें अधिक संख्या बच्चों की थी और बहुत लोग घायल हुए थे ! हादसे के बाद क़ुतुबमीनार के अंदर प्रवेश वर्जित कर दिया गया ! जब भी क़ुतुब मीनार को खोलने की बात की गई तभी कोई ना कोई हादसा हो गया ! फ़ाइनली एप्रिल १९८२ में कुटब को सरकारी तौर पर बंद कर दिया गया !
कुतुबमीनार का वास्तविक नाम क्या है?
चलिए लालकोट के बारे में बताते हैं आपको। लालकोट का निर्माण तोमर वंश के राजपूत शासकों ने किया था। बाद में पृथ्वीराज चौहान ने इसे जीता और इसका नाम किला राय पिथौरा रखा। कुतुबुदीन ऐबक ने उसी लालकोट के सामग्रियों से क़ुतुब मीनार का निर्माण किया।
कुतुब मीनार के प्रवेश द्वार को क्या कहा जाता है?
क़ुतुबमीनार में एक बड़ा सा प्रांगण है जिसमे बहुत सी ऐतिहासिक धरोहर देखि जा सकती है। अलाई दरवाजा – क़ुवत-उल-इस्लाम मस्जिद के दक्षिणी दिशा की ओर से एक मुख्य प्रवेश द्वार है इसे अलाइ दरवाज़ा के नाम से जाना जाता है इसे १३११ में दिल्ली के दूसरे सुल्तान अला-उद-दीन खिलजी ने बनवाया था।
कुतुबमीनार कैसे टूट गया?
जब फिरोज शाह तुगलक के शासन में भूकंप के बाद क़ुतुब मीनार क्षतिग्रस्त हो गई थी तो इसके बाद फिरोज शाह ने इसकी मरम्मत करवाई। लेकिन इसके बाद में १५०५ फिर से भूकंप की वजह से मीनार टूट गई थी जिसकी मरम्मत सिकंदर लोदी ने ने करवाई।
फिलहाल हमें यही जानकारी है कुतुबमीनार के बारे में। अगर आप के पास कुतुब मीनार की कोई और मजेदार या महत्वपूर्ण जानकारी है तो आप हमे जरूर बताये।